पद्म पुरस्कारों की शुरुआत वर्ष 1954 में पद्म विभूषण के रूप में की गई थी। इसके तीन वर्ग थे पहला वर्ग, दूसरा वर्ग और तीसरा वर्ग। बाद में, 8 जनवरी, 1955 को जारी राष्ट्रपति अधिसूचना द्वारा इनका नाम बदलकर पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्म श्री कर दिया गया।
पुरस्कार आमतौर पर अत्यधिक योग्य मामलों को छोड़कर मरणोपरांत प्रदान नहीं किया जाता है। पद्म पुरस्कार की एक उच्च श्रेणी केवल उस व्यक्ति को प्रदान की जा सकती है, जहां पहले पद्म पुरस्कार प्रदान किए जाने के बाद से कम से कम पांच वर्ष की अवधि समाप्त हो गई हो। एक वर्ष में दिए जाने वाले पुरस्कारों की कुल संख्या (मरणोपरांत पुरस्कारों और विदेशियों को छोड़कर) 120 से अधिक नहीं होनी चाहिए।