हिंदू पौराणिक कथाओं में नृत्य का गहरा महत्व है। नृत्य की विभिन्न विधाओं से कई देवी-देवता जुड़े हुए हैं। ब्रह्मांडीय ऊर्जा के अवतार भगवान शिव को नृत्य के देवता नटराज के रूप में दर्शाया गया है। उनका लौकिक नृत्य, जिसेतांडवके नाम से जाना जाता है, ब्रह्मांड की लयबद्ध और हमेशा बदलती प्रकृति का प्रतीक है। यह भी कहा जाता है कि भगवान ब्रह्मा ने भरत मुनि को नाट्य शास्त्र लिखने के लिए प्रेरित किया, जो नृत्य सहित प्रदर्शन कलाओं पर एक व्यापक ग्रंथ है।
रास लीला भगवान कृष्ण द्वारा राधा और बृजभूमि की अन्य गोपियों के साथ किया जाने वाला नृत्य है। रंभा, उर्वशी, मेनका जैसी अप्सराएं नृत्य में निपुण मानी जाती हैं और गंधर्वों की पत्नियां हैं। गंधर्वस्वयं दिव्य संगीतकार और गायक माने जाते हैं।
नृत्य एवं प्रदर्शन कला | जुड़े कलाकार |
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कथक | बिर्जु महाराज, गोपी कृष्ण, शम्भू महाराज, सितारा देवी, प्रेरणा श्रीमाली, सुनयना हज़ारीलाल , कुमुदिनि लखिया , शोवना नारायण |
भरत नाट्यम | टी. बालसरस्वति, रुक्मिणी देवी अरूंडेल, यामिनि कृष्णमूर्ति, वैजयंतीमाला, आनंद शंकर जयंत, सी.वी. चंद्रशेखर, गुरु (सुश्री) एम.के. सरोजा, शांता और वीपी धनंजयंन |
मणिपुरी | अमुबि सिंह, बिनो देवी, राजकुमार सिंहजीत सिंह |
मोहिनी अट्टम | श्रीमती कलामंडलम क्षेमावती पवित्रन, डॉ.(श्रीमती) कनक रेले |
छाऊ | मकरध्वज दरोघा, पंडित गोपाल प्रसाद दुबे |
ओडिसी | केलुचरण महापात्र, सोनल मानसिंह, गीता महलिक, डॉ. मिनाती मिश्रा |
कथकली | पी० के० कुंजु कुरुप, कलामंडलम राजन, मदवुर वासुदेवन नायर, कलामंडलम गोपी, कलामंडलम रमणकुट्टी नायर |
कुचीपुड़ी | राजा रेड्डी, राधा रेड्डी, वैजयंती काशी, वेम्पति चिन्ना सत्यम |
यक्षगान | रामचंद्र सुब्रया हेगड़े चित्तनि |
सात्त्रिया | घनकंता बोरा बोरबयाँ |
कुड़िअट्टम | अम्मन्नुर माधव चक्यर |
पांडवनी | तीजन बाई |
कलबेलिया | गुलाबो सपेरा |
क्रिएटिव नृत्य / कोरियोग्राफी | उदय शंकर |
सुश्री कपिला वात्स्यायनभारतीय शास्त्रीय नृत्य, कला, वास्तुकला और कला इतिहास की एक अग्रणी विद्वान थीं। वहइंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्रकी संस्थापक निदेशक थीं। उन्होंने कई किताबें लिखी हैं। उन्हे पद्म विभूषण और संगीत नाटक अकादमी फ़ेलोशिप से सम्मानित किया गया था ।
सुश्री रुक्मिणी देवी अरुंडेलभारतीय शास्त्रीय नृत्य शैली भरतनाट्यम की एक नर्तकी और कोरियोग्राफर थीं। वे राज्यसभा के सदस्य के रूप में नामित होने वाली पहली महिला थीं । 1936 में, उन्होंने चेन्नई स्थितकलाक्षेत्रकी स्थापना की । कलाक्षेत्र एक कला और सांस्कृतिक अकादमी है जो भारतीय कला और शिल्प में पारंपरिक मूल्यों के संरक्षण के लिए समर्पित है, विशेष रूप से भरतनाट्यम नृत्य और गंधर्ववेद संगीत में।
खजुराहो नृत्य महोत्सव: यह हर साल फरवरी-मार्च के दौरान छतरपुर जिले (म.प्र.) में उस्ताद अलाउद्दीन खान संगीत और कला अकादमी द्वारा आयोजित एक सप्ताह तक चलने वाला महोत्सव है।
कोणार्क नृत्य महोत्सव: कोणार्क नृत्य महोत्सव आमतौर पर हर साल दिसंबर के पहले सप्ताह में ओडिशा के कोणार्क में भव्य सूर्य मंदिर की पृष्ठभूमि में आयोजित किया जाता है। यह कार्यक्रम आमतौर पर ओडिशा पर्यटन द्वारा आयोजित किया जाता है।
मामल्लपुरम नृत्य महोत्सव: यह दिसंबर और जनवरी के बीच आयोजित होने वाला 30 दिवसीय महोत्सव है और पर्यटन विभाग, तमिलनाडु द्वारा आयोजित किया जाता है। मामल्लपुरम में तटीय मंदिर के सामने खुला लॉन उत्सव के लिए मुख्य स्थल के रूप में कार्य करता है।
एलोरा अजंता नृत्य महोत्सव: यह जनवरी के दौरान छत्रपति संभाजी नगर (औरंगाबाद) में आयोजित होने वाला 3 दिवसीय महोत्सव है और महाराष्ट्र पर्यटन विकास निगम द्वारा आयोजित किया जाता है।
नाट्यांजलि नृत्य महोत्सव: चिदम्बरम नाट्यांजलि ट्रस्ट द्वारा आयोजित यह उत्सव भगवान नटराज को समर्पित है और फरवरी/मार्च के दौरान महाशिवरात्रि के आसपास आयोजित किया जाता है। तमिलनाडु में चिदम्बरम का थिल्लई नटराज मंदिर इस उत्सव का स्थल है।
मोढेरा नृत्य महोत्सव: इस महोत्सव को उत्तरार्ध महोत्सव या मोढेरा उत्सवी के नाम से भी जाना जाता है। विशेष तीन दिवसीय उत्सव हर साल उत्तरायण उत्सव के समापन के बाद जनवरी के तीसरे सप्ताह के दौरान आयोजित किया जाता है। गुजरात के मेहसाणा जिले में मोढेरा सूर्य मंदिर का परिसर गुजरात पर्यटन द्वारा आयोजित इस मनमोहक उत्सव के स्थल के रूप में कार्य करता है।
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