जर्मनी में स्थित यह जगह मैडम भीकाजी कामा द्वारा भारत के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाने के लिए प्रसिद्ध है । अगस्त 22, 1907 को अंतर्राष्ट्रीय सोशलिस्ट कांग्रेस की बैठक के दौरान सप्तर्षि ध्वज के नाम से राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया था । इस ध्वज में तीन रंग थे - ऊपर हरा, मध्य में केसरिया और नीचे लाल । हरी पट्टी पर एक पंक्ति में आठ कमल बने थे और केसरिया पट्टी पर देवनागरी लिपि में “वंदे मातरम्” अंकित था ।
खेड़ा गुजरात में एक जिला है । यह 1918 के खेड़ा सत्याग्रह के लिए जानी जाती है जिसे गांधीजी ने अकाल की स्थिती से गुजर रहे किसानों के मदद के लिए शुरू किया था। उस वर्ष उत्पादन बहुत कम हुआ था और किसानों ने कर वसूली में माफी की माँग की थी जिसे सरकार ने स्वीकार करने से इनकार कर दिया । इस पर गांधीजी ने सत्याग्रह शुरू करने की सलाह दी । अंत में सरकार ने कर वसूली वर्ष भर के लिए निलंबित कर दी ।
वेदारणयम् तमिलनाडु के नागिपट्टीनम जिले में स्थित जगह जहाँ पर चक्रवर्ती राजगोपालाचारी ने 30 अप्रैल 1930, को नमक सत्याग्रह की शुरूवात की थी । अप्रैल 1930 में ही गांधी जी ने दांडी, गुजरात में नमक कानून को तोड़ा था ।
मणिपुर में स्थित यह जगह स्वतंत्रता संघर्ष के दौरान आज़ाद हिंद फौज़ ने जापानी समर्थन से अंग्रेजों से हथिया ली थी । यहीं पर 14 अप्रैल 1944 को आजाद हिंद फौज़ के कर्नल शौकत मलिक ने भारतीय तिरंगा फहराया ।
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का लाहौर अधिवेशन भारत के स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में विशेष महत्व रखता है । यहाँ पर दिसम्बर 31, 1929 की आधी रात को जवाहर लाल नेहरू ने भारतीय राष्ट्रीय ध्वज फहराया था । सभी उपस्थित लोगों ने जनवरी 26 को हर साल स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाने की प्रतिज्ञा ली थी । पूर्ण स्वराज की मांग का एक संकल्प भी पारित किया गया था । लाहौर में ही स्वतंत्रता सेनानी जतिन दास ने कैदियों के लिए बेहतर स्थितियों की मांग करते हुए आमरण अनशन किया था जिसमें उनकी मृत्यु हो गई थी । यहीं की कोट लखपत जेल में 23 मार्च 1931 को भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को अंग्रेजों द्वारा फांसी पर लटका दिया गया था ।
प्रसिद्ध भारत छोड़ो आन्दोलन जिसे अगस्त क्रांति के नाम से भी जाना जाता है, की शूरूवात 1942 में इस शहर से हुई थी । भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के 7 अगस्त 1942 को शुरू हुए ऐतिहासिक बम्बई अधिवेशन में महात्मा गांधी ने भारत छोड़ो और करो या मरो का आह्वान किया । गांधी, नेहरू, सरदार पटेल और मौलाना आजाद सभी नेताओं को तुरंत गिरफ्तार कर लिया गया था और 09 अगस्त 1942 को प्रमुख नेताओं की अनुपस्थिति में अरुणा आसफ अली ने गोवालिया टैंक मैदान, में राष्ट्रीय ध्वज फहराया था ।
गांधीजी को यरवदा जेल पुणे में कैद किया गया था । 24 सितंबर, 1932 को डॉ बी.आर. अंबेडकर और महात्मा गांधी ने प्रसिद्ध पूना संधि पर यरवदा जेल में ही हस्ताक्षर किए थे । यह समझौता रामसे मैकडोनाल्ड के सांप्रदायिक निर्णय पर गांधी जी के विरोध का परिणाम था ।
1942, में जब गांधी जी ने भारत छोड़ो आंदोलन का ऐलान किया, तब उन्हे गिरफ्तार कर पूना के आगा खान पैलेस में कैद किया था । यहीं पर उनकी पत्नी कस्तूरबा गांधी की मृत्यु हुई थी ।
नागपुर स्वंत्रता संग्राम के दौरान झंडा सत्याग्रह के लिए जाना जाता है जिसकी सफलता का श्रेय दिया सरदार पटेल के नेतृत्व को दिया जाता है । तिरंगे को टाउन हॉल पर यूनियन जैक के साथ फहराए जाने की अनुमति नहीं थी । किसी जुलूस में भी तिरंगा ले जाना प्रतिबंधित था । झंडा सत्याग्रह 01 मई 1923 को शुरू हुआ । सरदार पटेल ने देश के विभिन्न भागों से सत्याग्रहियों का एक सतत प्रवाह सुनिश्चित किया जो गिरफ्तारी देते और नागपुर जेल भरता जाता । अंत में सरकार को नरम होना पड़ा और निषेधात्मक आदेश जारी होने बंद हुए । सभी कैदियों को रिहा किया गया और उन्होने झंडा सत्याग्रह पूरा किया जिसके अंत में सरदार पटेल ने सत्याग्रह की समाप्ती की घोषणा की ।
केरल का यह शहर हिंदुओं में अस्पृश्यता के खिलाफ हुए वाईकॉम सत्याग्रह के लिए प्रसिद्ध है । वर्ष 1924 के इस सत्याग्रह का नेतृत्व टी.के. माधवन ने किया था । सत्याग्रह ने वाईकॉम कें मंदिर सड़क पर निचली जातियों को चलने का अधिकार दिया था मंदिर प्रवेश कानून के लिए भी मार्ग प्रशस्त किया ।
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