उन्होंने 1926 में पंजाब नौजवान भारत सभा को व्यवस्थित करने में मदद की और इसके संस्थापक सचिव बने ।
वे लाला लाजपत राय की मृत्यु का बदला लेने के लिए मिस्टर सांडर्स की गई हत्या में शामिल थे ।
उन्होंने चंद्रशेखर आज़ाद के नेतृत्व में हिंदुस्तान रिपब्लिक एसोसिएशन को फिर से संघटित किया और इसका नाम बदलकर हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन रखा ।
वह प्रसिद्ध पैम्फलेट मैं नास्तिक क्यों हूं के लेखक थे ।
उन्होंने एक बार लाहौर उच्च न्यायालय के सामने घोषणा की "क्रांती की तलवार विचारों की सान पर तेज होती है”।
उन्होंने Public Safety Bill and Trade Disputes Bill के पारित होने के विरोध में बटुकेश्वर दत्त के साथ दिल्ली की विधान सभा कक्ष में दो बम फेंके ।
उन्हें 23 मार्च 1931 को लाहौर जेल में राजगुरु और सुखदेव के साथ फांसी दी गई थी।.
चंद्रशेखर आज़ाद
प्रमुख तथ्य
उनका वास्तविक नाम चंद्रशेखर तिवारी था, उन्होने आज़ाद उपनाम अपनाया ।
उन्होंने अंग्रेजों द्वारा कभी भी जिंदा न पकड़े जाने की शपथ ली थी ।
हिंदुस्तान रिपब्लिकन सोशलिस्ट एसोसिएशन के संस्थापक राम प्रसाद बिस्मिल की मृत्यु के बाद वे उसके मुख्य आयोजक बने ।
वे काकोरी ट्रेन डकैती में शामिल थे, परंतु गिरफ्तारी से बचने में सफल रहे ।
27 फरवरी 1931 को अल्फ्रेड पार्क, इलाहाबाद में एक मुठभेड़ के अंत में उन्होंने खुद को गोली मारी और शहीद हो गए ।
राम प्रसाद बिस्मिल
प्रमुख तथ्य
प्रसिद्ध कविता सरफ़रोशी की तमन्ना के लेखक
उन्होंने अशफाकउल्ला खान के साथ काकोरी ट्रेन डकैती की योजना बनाई थी ।
उन्होने सचिंद्रनाथ सान्याल सहित हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन की स्थापना की थी ।
उन्हें गोरखपुर जेल में 19 दिसंबर 1927 पर अंग्रेजों ने फाँसी दी थी ।
सचिंद्रनाथ सान्याल
प्रमुख तथ्य
उन्होने राम प्रसाद बिस्मिल सहित हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन की स्थापना की थी ।
बंदी जीवन नामक प्रसिद्ध पुस्तक के लेखक
उन्हें काकोरी ट्रेन डकैती में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई और अंडमान के सेलुलर जेल भेजा गया।
वे ग़दर षडयंत्र मामले में भी शामिल थे।
अशफाकुल्ला खान
प्रमुख तथ्य
हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के सदस्यों में से एक.
वे रामप्रसाद बिस्मिल के साथ काकोरी ट्रेन डकैती में सक्रिय रूप से शामिल थे ।
फैजाबाद जेल में उन्हें 19 दिसंबर 1927 को फांसी दी गई थी ।
अपनी फांसी पर उन्होंने कहा था
खुदीराम बोस, सूर्य सेन, लाला हरदयाल, मैडम भीकाजी कामा, मदन लाल ढींगरा, उधम सिंह, रास बिहारी बोस, जतिन दास
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खुदीराम बोस
प्रमुख तथ्य
वह भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के सबसे कम उम्र के क्रांतिकारियों में से एक थे । इनकी 18 साल की उम्र में मृत्यु हो गई थी।
अंग्रेजों द्वारा बंगाल विभाजन के विरोध के दौरान वे राष्ट्रवादी आंदोलन में शामिल हुए थे ।
वह क्रांतिकारी कार्यकर्ताओं की पार्टी जुगंतर के सदस्य थे।
उन्हें और प्रफुल्ल चाकी को पार्टी द्वारा मुख्य प्रेसीडेंसी मजिस्ट्रेट किंग्सफोर्ड की हत्या के लिए चुना गया था जो स्वतंत्रता सेनानियों के खिलाफ क्रूर और कठोर निर्णय लेने के लिए जाने जाते थे ।
परंतु, वे सफल नहीं हुए और बैरिस्टर कैनेडी के परिवार की हत्या कर दी ।
खुदीराम को बम हमले के आरोप में गिरफ्तार किया गया था और 11 अगस्त, 1908 को फांसी की सजा दी गई थी।
सूर्य सेन
प्रमुख तथ्य
वे 1930 में चटगांव शस्त्रागार कांड के लिए प्रसिद्ध है।
उन्होंने चटगांव शस्त्रागार में भारतीय राष्ट्रीय ध्वज फहराया और एक अनंतिम क्रांतिकारी सरकार की घोषणा की।
उन्हें अंग्रेजों ने गिरफ्तार कर लिया 02 जनवरी 1934 को फांसी दे दी ।
लाला हरदयाल
प्रमुख तथ्य
1913 में अमेरिका में ग़दर पार्टी की स्थापना के लिए प्रसिद्ध ।
ग़दर पार्टी ग़दर षडयंत्र के लिए प्रसिद्ध है जिसके तहत प्रथम विश्व युद्ध के दौरान अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह शुरू करने के लिए भारतीय सैनिकों को उकसाया गया था। हालांकि इस योजना को अंग्रेजों ने नाकाम कर दिया था।
उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल होने के लिए आईसीएस की नौकरी ठुकरा दी थी ।
वे मैडम भीकाजी कामा और वीर सावरकर के साथ जुड़े थे ।
मैडम भीकाजी कामा
प्रमुख तथ्य
स्टटगार्ट (जर्मनी) में 1907 के अंतर्राष्ट्रीय समाजवादी सम्मेलन के दौरान पहला भारतीय राष्ट्रीय ध्वज फहराने के लिए प्रसिद्ध ।
स्टटगार्ट के बाद, मैडम कामा संयुक्त राज्य अमेरिका चली गईं और "संयुक्त राज्य अमेरिका में भारत की पहली सांस्कृतिक प्रतिनिधि" के रूप में जानी गईं ।
उन्होंने क्रांतिकारी पत्रिकाएं वंदे मातरम और मदनज़ तलवार प्रकाशित की, जिन्हे अंग्रेजों ने प्रतिबंधित कर दिया था ।
उन्होने भारतवासियों का आह्वान किया कि - ‘‘आगे बढ़ो, हम हिन्दुस्तानी हैं और हिन्दुस्तान हिन्दुस्तानियों का है!"
1905 में उन्होंने पेरिस में पेरिस इंडियन सोसाइटी की भी सह-स्थापना की ।
उन्होंने दादाभाई नौरोजी के निजी सचिव के रूप में भी काम किया ।
मदन लाल ढींगरा
प्रमुख तथ्य
लंदन में 01 जुलाई 1909 को सर विलियम हट कर्जन वायली की हत्या के लिए ।
वे विनायक सावरकर के अनुयायी थे ।
उन्हें 17 अगस्त 1909 को लंदन में फाँसी दी गई ।
उधम सिंह
प्रमुख तथ्य
जलियांवाला बाग नरसंहार का बदला लेने के लिए मार्च 1940 में माइकल ओ'डायर की हत्या के लिए ।
उधम सिंह ने भारत में तीन धर्मों की एकता के प्रतीक स्वरूप अपना नाम बदलकर राम मोहम्मद सिंह आजाद रख लिया था।
उधम सिंह अमेरिका में ग़दर पार्टी के सक्रिय सदस्य थे ।
उन्हें 31 जुलाई 1940 को लंदन के पेंटोनविले जेल में फांसी दी गई थी ।
राश बिहारी बोस
प्रमुख तथ्य
1912 में दिल्ली में लॉर्ड हार्डिंग की हत्या की कोशिश के लिए प्रसिद्ध ।
उन्होंने 1 सितंबर 1942 को कप्तान मोहन सिंह और सरदार प्रीतम सिंह की मदद से इंडियन नेशनल आर्मी का गठन किया ।
राश बिहारी अमेरिका में ग़दर षड्यंत्र के सक्रिय सदस्य थे।
जतिन दास
प्रमुख तथ्य
जतीन्द्रनाथ दास अपने 63 दिनों तक चलने वाले आमरण अनशन के लिए जाने जाते हैं ।
उनका अनशन कैदियों और अंडर-ट्रायल की खराब स्थिति के खिलाफ था। 13 सितंबर 1929 को उनका निधन हो गया ।
वे बंगाल एक क्रांतिकारी संगठन, अनुशीलन समिति के सदस्य थे ।
वे भगत सिंह के लिए बम बनाने के लिए सहमत हो गए थे और 1929 में उन्हे क्रांतिकारी गतिविधियों के लिए गिरफ्तार कर लिया गया था ।