भारत के प्रमुख क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानी - I

भगत सिंह

  1. उन्होंने 1926 में पंजाब नौजवान भारत सभा को व्यवस्थित करने में मदद की और इसके संस्थापक सचिव बने ।
  2. वे लाला लाजपत राय की मृत्यु का बदला लेने के लिए मिस्टर सांडर्स की गई हत्या में शामिल थे ।
  3. उन्होंने चंद्रशेखर आज़ाद के नेतृत्व में हिंदुस्तान रिपब्लिक एसोसिएशन को फिर से संघटित किया और इसका नाम बदलकर हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन रखा ।
  4. वह प्रसिद्ध पैम्फलेट मैं नास्तिक क्यों हूं के लेखक थे ।
  5. उन्होंने एक बार लाहौर उच्च न्यायालय के सामने घोषणा की "क्रांती की तलवार विचारों की सान पर तेज होती है”।
  6. उन्होंने Public Safety Bill and Trade Disputes Bill के पारित होने के विरोध में बटुकेश्वर दत्त के साथ दिल्ली की विधान सभा कक्ष में दो बम फेंके ।
  7. उन्हें 23 मार्च 1931 को लाहौर जेल में राजगुरु और सुखदेव के साथ फांसी दी गई थी।.

चंद्रशेखर आज़ाद

  1. उनका वास्तविक नाम चंद्रशेखर तिवारी था, उन्होने आज़ाद उपनाम अपनाया ।
  2. उन्होंने अंग्रेजों द्वारा कभी भी जिंदा न पकड़े जाने की शपथ ली थी ।
  3. हिंदुस्तान रिपब्लिकन सोशलिस्ट एसोसिएशन के संस्थापक राम प्रसाद बिस्मिल की मृत्यु के बाद वे उसके मुख्य आयोजक बने ।
  4. वे काकोरी ट्रेन डकैती में शामिल थे, परंतु गिरफ्तारी से बचने में सफल रहे ।
  5. 27 फरवरी 1931 को अल्फ्रेड पार्क, इलाहाबाद में एक मुठभेड़ के अंत में उन्होंने खुद को गोली मारी और शहीद हो गए ।


सचिंद्रनाथ सान्याल

  1. उन्होने राम प्रसाद बिस्मिल सहित हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन की स्थापना की थी ।
  2. बंदी जीवन नामक प्रसिद्ध पुस्तक के लेखक
  3. उन्हें काकोरी ट्रेन डकैती में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई और अंडमान के सेलुलर जेल भेजा गया।
  4. वे ग़दर षडयंत्र मामले में भी शामिल थे।

राम प्रसाद बिस्मिल

  1. प्रसिद्ध कविता सरफ़रोशी की तमन्ना के लेखक
  2. उन्होंने अशफाकउल्ला खान के साथ काकोरी ट्रेन डकैती की योजना बनाई थी ।
  3. उन्होने सचिंद्रनाथ सान्याल सहित हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन की स्थापना की थी ।
  4. उन्हें गोरखपुर जेल में 19 दिसंबर 1927 पर अंग्रेजों ने फाँसी दी थी ।

अशफाकुल्ला खान

  1. हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के सदस्यों में से एक.
  2. वे रामप्रसाद बिस्मिल के साथ काकोरी ट्रेन डकैती में सक्रिय रूप से शामिल थे ।
  3. फैजाबाद जेल में उन्हें 19 दिसंबर 1927 को फांसी दी गई थी ।
  4. अपनी फांसी पर उन्होंने कहा था मेरे हाथ इंसानी खून से कभी नहीं रंगे, खुदा के यहाँ मेरा इन्साफ होगा ।


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